आपको धार्मिक ग्रन्थ महाभारत की अनेक कथाओ के बारे मालूम होगा , लेकिन ऐसे भी कई कहानिया है जिनके बारे में आपने कभी नहीं सुना होगा , जानिए महाभारत से जुड़ी ऐसे ही 11 अनसुनी कथाये :
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पहली कथा – महाभारत
जब कौरवो की सेना पांडवो से युद्ध हार रही थी तब दुर्योधन भीस्म पितामह के पास गया और कहने लगा की आप अपनी पूरी सकती से नहीं लड़ रहे है यह युद्ध , भीष्म पितामह को काफी गुस्स्सा आया और उन्होने तुरंत पांच सोने के तीर लिए और कुछ मन्त्र पढ़े , ;मन्त्र पढ़ने के बाद उन्होंने दुर्योधन से कहा की कल इन पांच तिरो से वे पांडवो को मार देंगे , मगर दुर्योधन को भीष्म पितामह पर विस्वास नहीं हुआ और उसने तीर ले लिए और कहा की वह कल सुबह इन तिरो को वापस करेगा ,
इन तिरो के पीछे की कहानी भी बहुत मजेदार है , भगवन श्री कृष्ण को जब इन तिरो के बारे पता चला तब उन्होंने अर्जुन को बुलाया और कहा की तुम दुर्योधन के पास जाओ और पांचो तीर मांग लो , दुर्योधन की जान तुमने एक बार गन्धर्व से बचाई थी , इसके बदले उसने कहा था की कोई एक चीज जान बचने के लिए मांग लो , समय आ गया है की अभी तुम उन पांच सोने के तीर मांग लो , अर्जुन दुर्योधन के पास गया और उसने तीर मांगे , राजपूत होने के नाते दुर्योधन को अपने वचन को पूरा करना परा और उसे वह पांचो तीर अर्जुन को देना पड़ा।
दूसरी कथा – महाभारत
द्रोणाचार्य को भारत का पहले टेस्ट ट्यूब बेबी माना जा सकता है ,यह कहानी भी काफी रोचक है , द्रोणाचार्य के पिता महर्षि भरद्वाज थे और उनकी माता एक अप्सरा थी , दरअसल , एक शाम भरद्वाज शाम में गंगा नहाने गए तभी उन्हें वहा एक अप्सरा नहाती हुई दिखाई दी , उसकी सुंदरता को देख ऋषि मन्त्र मुग्ध हो गए और उनके सरीर से शुक्राणु निकला जिसे ऋषि ने एक मिटटी के बर्तन में जमा करके अँधेरे में रख दिया , इसी से द्रोणाचार्य का जन्म हुआ।
तीसरी कथा – महाभारत
अब पांडवो के पिता पांडू मरने के करीब थे तो उन्होंने अपने पुत्रो से कहा की बुद्धिमान बनने और ज्ञान हासिल करने के लिए वे उनका मष्तिष्क खा जाये , केवल सहदेव ने उनकी इक्छा पूरी की और उनके मस्तिष्क को खा लिया , पहली बार खाने पर उसे दुनिया में हो चुकी चीजों के बारे में जानकारी मिली , दूसरी बार खाने पर उसने वर्तमान में घट रही चीजों के बारे में जाना और तीसरी बार खाने पर उसे भविश्व में क्या होनेवाला है , इसकी जानकारी मिली।
चौथी कथा – महाभारत
अभिमन्यु की पत्नी वत्सला बलराम की बेटी थी , बलराम चाहते थे की वत्सला की शादि दुर्योधन के बेटे लक्षमन से हो , वत्सला और अभिमन्यु एक दूसरे से प्यार करते थे , अभिमन्यु ने वत्सला को पाने के लिए घटोत्कच की मदद ली घटोत्कच ने लक्छ्मण को इतना डराया की उसने कसम खा ली की वह पूरी जिंदगी शादी नहीं करेगा।
पांचवी कथा
अर्जुन के बेटे इरावन ने अपने पिता की जित के लिए खुद की बलि दी थी , बलि देने से पहले उसकी अंतिम इच्छा थी की वह मरने से पहले शादी कर ले , मगर इस शादी के लिए कोई भी लड़की तैयार नहीं थी क्योकि शादी के तुरंत बाद उसके पति मरना था , इस स्तिथि में भगवान कृष्ण ने मोहिनी का रूप लिया और इरावन से न केवल शादी की बल्कि एक पत्नी की तरह उसे विदा करते हुए रोये भी।
छठी कथा
सहदेव , जो अपने पिता का मस्तिष्क खाकर बुद्धिमान बना था , उसमे भविष्य देखने की छमता थी इसलिए दुर्योधन उसके पास गया और युद्ध शुरू करने से पहले उससे सही मुहूर्त के बारे में पूछा , सहदेव यह जानता था की दुर्योधन उसका सबसे बड़े सत्रु है फिर भी उसने युद्ध शुरु करने का सही समय बताया।
सातवीं कथा
धृतराष्ट्र का एक बेटा युयत्सु नाम का भी था युयत्सु एक वैश्या महिला का बेटा था , दरअसल , धृतराष्ट्र के सम्बन्ध एक दासी के साथ थे जिससे युयत्सु पैदा हुआ था।
आठवीं कथा
महाभारत के युद्ध में उड्डपी के राजा ने निरपेक्ष रहने का फैशला किया था , उड्डपी का राजा न तो पांडव की तरफ से थे और न ही कौरव के तरफ से थे , उड्डपी के राजा ने कृष्ण से कहा था की कौरवो और पांडवो की इतनी बड़ी सेना को भोजन की जरुरत होगी और हम दोनों तरफ की सेनाओ को भोजन बनाकर खिलाएँगे , 18 दिन तक चलने वाले इस युद्ध में कभी भी खाना काम नहीं पड़ा ,
सेना ने जब राजा से इस बारे में पूछा तो उन्होंने इसका श्रेय श्री कृष्ण को दिया , राजा ने कहा की जब कृष्ण भोजन करते है तो उनके आहार से उन्हें पता चल जाता है की कल कितने लोग मरने वाले है और खाना इसी हिसाब से बनाया जाता है।
नौवीं कथा
जब दुर्योधन कुरुछेत्र के युद्ध छेत्र में आखिरी साँस ले रहा था , उस समय उसने अपनी तीन उंगलिया उठा रखी थी , भगवान कृष्ण उसके पास गए और समझ गए की दुर्योधन कहना चाहता है कि अगर वह तीन गलतिया युद्ध में न करता तो युद्ध जित लेता , मगर कृष्ण ने दुर्योधन को कहा की अगर तुम कुछ भी कर लेते तब भी हार जाते , ऐसा सुनने के बाद दुर्योधन ने अपनी ऊँगली निचे कर ली।
दसवीं कथा
कर्ण और दुर्योधन की मित्रता के किस्से तो काफी मशहूर है , कर्ण और दुर्योधन की पत्नी दोनों एक बार सतरंज खेल रहे थे , इस खेल में कर्ण जित रहा था तभी भानुमति ने दुर्योधन को आते देखा और खड़े होने की कोसिस की , दुर्योधन के आने के बारे में कर्ण को पता नहीं था , इसलिए जैसे जी भानुमति ने उठने की कोशिश की कर्ण ने उसे पकड़ना चाहा , भानुमति के बदले उसके मोतियों की माला उसके हाथ आ गयी और वह टूट गयी ,
दुर्योधन तब तक कमरे में आ चूका था , दुर्योधन को देखकर भानुमति और कर्ण दोनी डर गए की दुर्योधन को कही कुछ गलत शक न हो जाये , मगर दुर्योधन को कर्ण पर काफी विस्वास था , उसने सिर्फ इतना कहा की मोतियों को उठा ले।
ग्यारहवी कथा
कर्ण दान करने के लिए काफी प्रसिद्ध था , कर्ण जब युद्ध छेत्र में आखिरी साँस ले रहा था तो भगवान् कृष्ण ने उसकी दनशीलता की परीक्षा लेनी चाही , वे गरीब ब्राह्मण बनकर कर्ण के पास गए और कहा कि तुम्हारे बारे में कागि सुना है , और तुमसे मुझे अभी कोई उपहार चाहिए , कर्ण ने उत्तर में कहा की आप जो भी चाहे मांग ले , ब्राह्मण ने सोना माँगा , कर्ण ने कहा की सोना तो उसके दांत में है और आप इसे ले सकते है ,
ब्राह्मण ने जवाब दिया की मई इतना कायर नहीं हु की तुम्हारे दांत तोडू , कर्ण ने तब एक पत्थर उठाया और अपने दांत तोड़ लिए , ब्राह्मण ने इसे भी लेने से इंकार कर दिया कहा की मई ये खून से सना दांत नहीं ले सकता , कर्ण ने इसके बाद एक वाण उठाया और आसमान में चलाया , उसके बाद बारिश होने डाट धूल गया , और उसके बाद कर्ण ने उस दांत को ब्राह्मण को दे दिया।
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3 thoughts on “महाभारत की 11 अनसुनी कथाये जो सभी को जाननी चाहिए”