साहिल चाकू-पत्थर मारता रहा, लोग देखते रहे : क्या है ‘बाईस्टैंडर इफेक्ट’, जिसकी वजह से साक्षी को बचाने नहीं आई भीड़

बाईस्टैंडर इफेक्ट : 28 मई यानी रविवार की रात पौने 9 बजे। दिल्ली के शाहबाद डेयरी के पास गली में नीली शर्ट पहने साहिल नाम का एक लड़का खड़ा था। लोग गली से गुजर रहे थे। दोस्त के बेटे की बर्थडे पार्टी में जाने के लिए साक्षी पास के एक पब्लिक टॉयलेट से तैयार होकर बाहर निकलती है। तभी गली में खड़ा साहिल, साक्षी को रुकने के लिए कहता है।

CCTV में कैप्चर हुआ मर्डर, साहिल ने चाकू मारने के बाद पत्थर पटका

बाईस्टैंडर इफेक्ट
साहिल चाकू-पत्थर मारता रहा, लोग देखते रहे – बाईस्टैंडर इफेक्ट बाईस्टैंडर इफेक्ट
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साहिल चाकू-पत्थर मारता रहा, लोग देखते रहे – बाईस्टैंडर इफेक्ट बाईस्टैंडर इफेक्ट

इसके बाद उसने एक हाथ से साक्षी को पकड़ा और दूसरे हाथ में लिए चाकू से हमला कर दिया। साक्षी दीवार की ओट लेकर खुद को बचाने की कोशिश करती है। इसके बावजूद साहिल चाकू मारना जारी रखता है। साहिल अगले 66 सेकेंड में साक्षी पर 40 बार चाकू से हमला करता है। जब लड़की सड़क पर गिर जाती है तो साहिल वहां पड़े एक बड़े पत्थर से 6 बार हमला करता है।

इसके बाद वह साक्षी को पैर मारता है और वहां से चला जाता है। इस दौरान वहां से अलग-अलग उम्र के कम से कम 17 लोग गुजरते हैं। इनमें कुछ महिलाएं भी होती हैं, लेकिन इनमें से कोई भी उस लड़की को बचाने की कोशिश नहीं करता है। सिर्फ शुरुआत में एक लड़का बचाने की कोशिश करता है, लेकिन बाद में वह भी वहां से चला जाता है। करीब आधे घंटे तक साक्षी का शव सड़क पर पड़ा रहा।

आखिर वहां मौजूद डेढ़ दर्जन लोगों में से किसी ने साक्षी को बचाया क्यों नहीं?

इसे समझने के लिए आपको 6 दशक पुरानी एक घटना जानना जरूरी है। 1964 की बात है। अमेरिका के क्वींस शहर के केव गार्डन नाम की जगह पर 28 साल की किटी जेनोविस नाम की एक लड़की रहती थी। 13 मार्च को इस लड़की का पहले रेप और फिर सरेआम हत्या की जाती है। जब हमलावर चाकू से जेनोविस पर हमला करता है उस समय वहां पर 38 लोग मौजूद होते हैं।

घटना को अंजाम देने से पहले 35 मिनट से ज्यादा समय तक केव गार्डन के पास हमलावर जेनोविस का पीछा करता है। इसके बाद वह लड़की पर तीन बार चाकू से हमला करता है। इस दौरान जेनोविस ने कई बार मदद की गुहार लगाई, लेकिन वहां पर मौजूद सभी 38 लोगों ने इसे अनसुना कर दिया।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि जब जेनोविस की मौत हो गई तब एक शख्स ने पुलिस को खबर दी। हमले के समय वहां पर मौजूद एक अन्य शख्स ने न्यूयॉर्क टाइम्स से अपनी बातचीत में कहा था कि मैं इस सब में शामिल नहीं होना चाहता था।

लॉस एंजिल्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस घटना के बाद एक्सपर्ट्स ने गवाहों के तमाशबीन बने रहने को समझाने के लिए ‘बाईस्टैंडर इफेक्ट’ थ्योरी ईजाद की।

बाईस्टैंडर इफेक्ट का मतलब: 

बाईस्टैंडर इफेक्ट में बताया गया कि किसी घटना के दौरान जितने ज्यादा लोग मौजूद होंगे, वहां पर भीड़ के हस्तक्षेप करने यानी पीड़ित को बचाने की संभावना उतनी ही कम होगी।

अंग्रेजी भाषा के सबसे पुराने शब्दकोश ब्रिटानिका के मुताबिक, बाईस्टैंडर इफेक्ट पर सबसे पहले रिसर्च करने वाले 2 लोग थे। इनमें एक सोशल साइकोलॉजिस्ट बिब लताने और दूसरे जॉन डार्ले थे। इन्होंने रिसर्च के बाद इस थ्योरी को समझाया था।

रिसर्चर लताने और डार्ले ने बताया कि कई बार तमाशबीन लोग संकट में पड़े लोगों की परवाह करना चाहते हैं, लेकिन वे वास्तव में ऐसी घटना को अंजाम देने वाले को रोकते हैं या नहीं यह इन 5 वजहों पर निर्भर करता है…

  • इंसिडेंट को नोटिस करना।
  • यह तय करना कि यह इमरजेंसी है।
  • यह देखना कि इस घटना के लिए वह व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार हैं या नहीं।
  • हत्या करने वाले को रोकने का तरीका चुनना।
  • लास्ट में बचाने का फैसला करना।

एक्सपर्ट लताने और डार्ले कहते हैं कि इनमें से किसी एक भी चीज की कमी होने पर घटनास्थल पर मौजूद शख्स मौके पर बचाव के लिए हस्तक्षेप नहीं करेगा।

साक्षी जैसे मामले में हमला होते देखने के बाद भी लोग बचाने क्यों नहीं आते हैं?

साइकोलॉजी टुडे के मुताबिक, लताने और डार्ले ऐसी घटनाओं के समय मौजूद लोगों के हस्तक्षेप नहीं करने की दो वजहें बताते हैं। पहला- डिफ्यूजन ऑफ रिस्पॉन्सिबिलिटी, दूसरा- सोशल इन्फ्लुएंस।

डिफ्यूजन ऑफ रिस्पॉन्सिबिलिटी: लताने और डार्ले ने बताया कि ऐसी घटना के दौरान वहां पर मौजूद लोगों की संख्या जितनी ज्यादा होगी, बचाने वाले लोग उतने ही कम होंगे। दरअसल, उन्हें लगेगा कि यहां पर पहले से ही काफी लोग मौजूद हैं, ऐसे में हमें मामले में पड़ने की जरूरत नहीं है।

सोशल इन्फ्लुएंस: इस मामले में घटनास्थल पर मौजूद लोग यह सोचते हैं कि यदि कोई दूसरा मामले में हस्तक्षेप करता है तो हम भी करेंगे। साइकोलॉजी टुडे वेबसाइट के मुताबिक, कई वजहों से लोग ऐसे मामले में हस्तक्षेप नहीं करते हैं। रिसर्च से पता चलता है कि जब यौन हमले की बात आती है, तो लोगों के हस्तक्षेप करने की संभावना कम होती है…

  • यदि गवाह पुरुष है।
  • महिलाओं को कमतर आंकने वाले लोग हैं।
  • ड्रग्स या अल्कोहल लेने वाले लोग हैं।

मौके पर मौजूद लोग इन 2 तरीकों से साक्षी को बचा सकते थे…

साइकोलॉजी टुडे वेबसाइट ने रिसर्च के हवाले से लिखा है कि बाईस्टैंडर इफेक्ट को 2 तरीकों से कम किया जा सकता है…

  • घटनास्थल पर मौजूद शख्स सिर्फ तेज आवाज में चेतावनी देते हुए कह सकता है कि ये क्या हो रहा है?
  • या फिर वहां मौजूद शख्स यह कह सकता है कि पुलिस आ रही है। वह ऐसा करके दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित कर सकता है।

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क्रेडिट : दैनिक भाष्कर

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